Saturday, December 31, 2011

आज का सन्देश (31 .12 .2011 )

 हर कोई आता है, आकर चला जाता है,
न कोई ठहरा है, न ठहर पाता है.
जीवन की कटु-कडवी सच्चाई
  • आप स्वयं मजबूत नहीं, तो भय, डर, मन के दरवाजे पर खटका, रिश्तों मे पारदर्शिता नहीं, झूठ का सेवन, आदि--आदि का डर आपको कमजोर बना देगा. इन सब आदतों को छोड़ें और जीवन मे सतुलन बना संतुलित जीवन को जीयें. अपने आप को CHECK करें, पुरुषार्थी बने.
  • सच्चे परमात्मा /TEACHER के साथ सच्चे रहो. भंवर का मैलापन, आन्तरिक सड़न, व्यर्थ संकल्प को CHECK कर छोड़ें और सच्चे बने. वरना पाप-वृद्धि बढ़ कर, आदतों मे परिवर्तित हो जाता है, आदत न बनने दें.
 सच्चे इन्सान की धारणाएं क्या होती है ? ?  ? ? ?
आप कभी भी उल्टा कर्म नहीं कर सकतें है.
पहले स्वयं को संभालें, फिर दूसरों को संभालें.
  • आपकी आदतें आप पर DOMINATE न करें, वरना तो LIFE का अहम् हिस्सा बन जाएँगी, पता भी नहीं चलेगा.
  • जो पिया / परमात्मा के साथ है, उसकी बरसात ही बरसात है. उसकी याद मे बैठो, आपके विकर्म भस्म होंगे. इधर-उधर दोस्तों, सम्बन्धियों मे बुद्धि न जाये, जंग पड़ जायेगा और योग-ज्ञान टूट जायेगा. परात्मा को सत्य बताएं, छुपायें नहीं, तो भय खत्म हो जायेगा.  उससे छिपाना नहीं, पाप बढ़ जायेगा.
  • विचलित ज्ञान को मन से निकालें. सच्चे विद्यार्थी, शिक्षक, और योगी बनेगें. जो निर्भय होगा, पिया /परमात्मा के साथ योग करेगा, वही पुरुषार्थी होगा.
गाय अपने मालिक को पहचान कर उसे दूध देती है,
वरना सींग मार देती है
आप भी पहचानो, और बंदर बुद्धि छोड़ कर गाय बनो.
  • कभी क्रोध न करो, उन्हें अच्छा रास्ता बताओ. विकर्म विनाश होंगे. दूसरों को समझाने से पहले अपने गुणों को बनायें रखें, अवगुणों को निकालें.
  • भूत-माया को तन-मन से भगा दो. कोई भूत घुसा आपके अंदर, खोएं-खोएं से दिखायीं देंगे. किसी भी भूत के वशीभूत होकर अपनी कमाई मे घाटा न डालें. भूतों को एकदम निकाल सपूत बच्चा बनना है. वि-कर्म जीत बनो.
निर्भय रहना है. सर्व-खजानों को विधिपूर्वक जमा कर 
ज्ञान-योगी बनो.
मुसाफिर क्या बेईमान

 

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