Wednesday, February 22, 2012

क्या है प्यार ----?

 अपने आपको ही सिर्फ करें  प्यार,
दूसरे के प्यार को न समझ पायें,
वो प्यार नहीं,
फिर करें तकरार,
कि
सिर्फ जानती मैं  ही,
किसे कहते हैं प्यार,
ये ना-समझ है, प्यार नहीं,  
वो क्या जाने,
किसे कहतें है --प्यार,
लुट जातें है प्यार मे,
और न करतें उफ़ भी,                

पी जातें है, गहरे जख्मों के दर्द को,
समझ अमृत का एक प्याला,
क्या बयाँ करें वो अपनी दास्ताँ,
प्यार के भूखे हैं, वो सिर्फ,
चढ़ने को तैयार हैं, सूलीं पर वो प्यार मे,
फिर भी न समझ पायें, प्यार को अपने वो,
दुत्कार कर भगाने से तो छोड़ जाएँ,   
जानवर भी रास्ता, उस गली का,
मैं न पहचान पाया शायद अब-तक,
 स्वयं को,
 दिल करता जिसका, प्यार करता,
जब दिल मे आये, दुत्कार कर भगा दे,   

अपने प्यार को,
और खाता चला गया ठोकरें, प्यार मे,
शायद ?   ?   ?
हाँ, शायद ? ? ? ?  

                                                                                                       मुसाफिर क्या बेईमान 

Thursday, February 2, 2012

आज का सन्देश (February , २, २०१२)


मानसिक शांति का आनंद प्राप्त करने के लिए
मन को व्यर्थ की उलझनों में फंसने नहीं दो.
  • प्रतिकूल / विपरीत परिस्थितियों में सारा योग व् ज्ञान का भंडार के खत्म होने की आंशंका बनी रहती है. विपरीत परिस्थितियों में संयम बरतें और धारण करें. आपका ज्ञान व् योग भरपूर रहेगा, अगर मन-दिल-दिमाग में कोई खोट (सिर्फ मेरा) नहीं होगा. अगर खोट हुआ, तो भंडार होते हुए भी भरपूर नहीं होगा.
आप जीवन में ऊँचाइयों को कैसे पाएंगे? ? ? परमात्म प्यार में रहें.
योग व् ज्ञान के भंडार को एकत्रित कर खूब बाटें,
ये भंडार कभी कम नहीं होगा. सद-बुद्धि रह, श्रीमत से चलो.

  •  दुखियों के दुःख हर, सुखी बनाओ, लेकिन उन्हें आलसी मत बनाओ.

सभी वेद, शास्त्रों का सार क्या है? ? ?
नैन०-हीन को राह दिखाओ, पग-पग ठोकर खाऊँ मैं ? ? ?

  • आप खुदाई खिदमतगार यानि खुदा के मददगार है. श्रीमत पर चलें और प्रभु, खुदा, इशु इन दो शब्दों के याद रखें.
  • अशुद्ध अहंकार, देह का अभिमान, अपनी सुन्दरता पर लेप लगाकर सुंदर बनना, लेकिन REAL LIFE में कुरूपता करेंगे तो असुंदर बनेगें. आप कौन है, वास्तविक LIFE में, कोई आपको पहचान नहीं पाएंगे.
  • अपने बीज रूप को पहचान, स्वयं की सत्यता जानोगे, पहचानोगे, तो जीवन की ROOTS को सुद्रिड कर तरक्की PROGRESS  पाएंगे. ACCURATE TIME पर स्वयं की LIFE का MUSIC BAND बजाना है. अव्यभिचारी बने. सिर्फ मेरा (INDIVIDUAL-ISM )  की खोट (WEAKNESS ) को समाप्त कर सम्पूर्णता (COMPLETENESS ) को हासिल करें.
  • कथनी और करनी को एक जैसा बनायें और दोनों में सूक्ष्म अंतर को भी समाप्त करें. ज्ञान-वान बनेगें.     

Wednesday, February 1, 2012

आज का सन्देश (1ST February 2012)


काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार, ये पांच डाकू है. इनमे से मुख्य डाकू काम और क्रोध है, जो सब कुछ लूट कर ले जातें है. कामेषु: क्रोधेतु:
  • काम का अर्थ है इच्छाएँ. काम (इच्छाओं) की पूर्ति नहीं होने से क्रोध आ जाता है. इसे समझोगे तो अपने ऊपर कृपा करना है.
बादशाह और वजीर का सम्बन्ध, काम और क्रोध जैसा है.
इंसान अगर इन दोनों के INFLUENCE मे रहते है,
तब हमेशा गलत  DECISION LIFE मे करते है.

  •  परमात्मा कहतें है,इनसे बचो. कहा गया है, " जहाँ ये (काम और क्रोध) विराजमान है, वहां पानी के घड़े भी सूख जातें है." क्रोधी ही घरों को आग लगा देतें है. क्रोध ही कलह का कारण बनते है.
  • क्रोध से किसी को दुखी मत करो. वर्ना आपका पदों-अवनति हो जायेगा. कहावत है, "वो सौ -सौ श्रृंगार करें, फिर भी खोते दा पुत्र, खोता (ASS) ही रहेगा. क्रोध का त्याग करें, घुड़सवार बन.
  • क्रोध किया तो तकदीर को लकीर (FULL STOP ) लग जाएगी, संगी-साथी पर भी इसका असरपड़ेगा. बड़े-बड़े COMMANDER भी क्रोध का शिकार बनते है तो, अपनी पूरी ARMY को ध्वस्त करा देतें है. काम , क्रोध की अग्नि पर ठंडा व् शीतल जल डालें.  मोह नष्ट करें.

स्वयं पर कृपा करो. दिल साफ़ बनो, सम्पूर्ण TRUSTEE बने, स्वयं के.

  • असुर की QUALITY -- मेरा भी मेरा, तेरा भी मेरा.   मनुष्य की QUALITY --- मेरा  ही  मेरा, तेरा भी तेरा. परमात्म गुनी इंसान  की QUALITY --- मेरा भी तेरा, तेरा भी तेरा.
  • मंजिल को सामने रख, FIRST NUMBER लेने वाले तीव्र पुरुषार्थी भव: . जो बात आपकी अवस्था को बिगाड़ने वाली है, उसे सुनते हुए भी न सुने और कोसों दूर रहें.
जो व्यक्ति नम्रता के आधार पर सबसे तालमेल बनाये
रख सकता है, वह महान है.
मुसाफिर क्या बेईमान