Sunday, September 16, 2012

तमाम सफर के हमसफर

मै.....
मै चाहती हूँ तेरा प्यार पाना...
और.....
और ये चाहती हूँ, कि तू हो जाये मेरा दीवाना
दीवानगी हो इस कदर,  इक  हो  जाये  हम,  सदा  के  लिए
तुम  तुम  न  रहो,  और  मै  मै  न  रहूँ,
 मिल जाये हम, सदा के लिए धरती और गगन की तरह  
मिल जाये हम सात रंगों के, सात  सुरों  की  तरह 
इन सात रंगों, और सुरों से बने, वो है प्यार
फिर मिले हमे हमारे मिलन का कोई उपहार
 जिसमे झलकता  हो तेरा प्यार जो हो कुछ तेरा कुछ मेरा
डर जाती हूँ  कभी कि ये सब सपना तो  नहीं
और छलक जाती है, ये ऑंखें बारिश की बूंदों की तरह
मै .....
मै चाहती हूँ  उस अहसास को पाना
जिसके अहसास से, तू भी हो जाये दीवाना
कैसा होगा वो  अहसास, जिसमे हर तरफ ख़ुशी  ही ख़ुशी होगी
चारों तरफ मुझे तेरी ही सूरत नजर आएगी
बस मुझे इतना पता होगा की वो अहसास भी तेरा
और अक्स भी तेरा
डरती  हूँ, कहीं बिखर न जाये, सपने मेरे
बस इक तेरा साथ हो, तो सारे सपने हो जाये पूरें
मै अधूरी  हूँ, मुझे पूरा तुम कर दो,
दिखा कर सारी दुनिया को, मेरी मांग तुम भर दो
बस इसी चाहत के अहसास में
मुझे बस तेरे प्यार का सलोना सा रूप चाहिए
जिसका हो इक प्यारा सा नाम
जो हो पूजा के सुरेश का ईशान
हो हम दोनों का अभिमान
तेरे मेरे प्यार की पहचान  

Thursday, June 14, 2012

साथ किसका ----

जिन्दगी के इस सफर मे,
ईक साथ चलता है हमेशा,
उसे भी छीन लेता है,
रात का गुमनाम अँधियारा,
मिल जाये 
ये साथ तो बताना,
न मिले तो, भूल जाना,
उस साथ को, 
परछाई समझ कर.
                             मुसाफिर क्या बेईमान  

Sunday, April 8, 2012

आज का सन्देश (8TH APRIL 2012)


  • ज्ञान को व्यव्हार मे लागू करना ही औचित्यपूर्ण है. व्यव्हार की कुशलता कम का कारण स्वयं मे अहम की भावना और स्वार्थ है. व्यव्हार से ही  इंसान पहचाना जाता है.
  • व्यव्हार चाहें बड़ों से, छोटों से, बराबर उम्र वालों से हो, वो कुशलता पूर्वक होना चाहिए. बड़ों के आशीर्वाद से वंचित न हो, व्यव्हार को कुशल बनायें. बराबर उम्र वालों से अहम की भावना नहीं आनी चाहिए. स्वयं को समानता की भावना मे आकर व्यव्हार करें.
  • बड़े या छोटे की भावना मे न जाकर उन्हें बराबर का समझ अहम का विनाश कर कुशल व्यवहार करेंगे तो ज्ञानी कहलायेंगे. विनम्रता आएगी, कुशल बनेगें.
  • ज्ञानवान कुशल व्यव्हार की चाबी है.  
अपने अकुशल व्यव्हार से दूसरों के अंदर भय पैदा हो जाता है,
उससे वो Angel / परी बन आपकी RESECT तो करते है,
लेकिन आप  प्रेम, विनम्रता को खो देंगे.
मन परेशान रहेंगा. 
सेवाभाव रखें, तो परमात्म सर्व-शक्तियों को देगा.
  • विशाल हदय बन अपने को कुशल बनायें. ज्ञान, गुण, शक्तियां वो बीज है, जो कर्म करने से वृक्ष का रूप लेगा, इसमें गुणों का फल आने मे समय लगेगा. धीरज धर, निराश न हो. युक्ति-युक्त श्रेष्ठ बन.
  • साफ़ बात भी अगर उचित समय पर नहीं कही जाये, तो वो भी विनाश ही करती है. साफ़ बात, साफ़ समय, साफ़ मन से दूसरों के साफ़ मन तो छुएगी, तो रास्ता साफ़ दिल से साफ़-साफ़ दिखाई देगा. ज्ञान जहाँ समझ मे आया, व्यव्हार भी कुशल हो जायेगा.
  • स्वयं के व्यव्हार से पहले स्वयं संतुष्ट है, तो आपका व्यव्हार दूसरों को संतुष्ट कर पायेगा, वरना स्वार्थ-सिद्धि के लिए व्यव्हार अकुशल होगा.
  • SILENCE की POWER से SCIENCE की INVENTION (खोज) होती है. शांत रहने की शक्ति से स्वयं के व्यव्हार का निरीक्षण करेंगे, तो अव्यक्त की स्थिति को पहचानने और जानने से आनंद की अनुभूति होगी. 

Tuesday, March 6, 2012

आज का सन्देश (6 , मार्च 2012 )


  • होली का त्यौहार आ रहा है. परमात्मा के संग के रंग से DOUBLE HOLI मनाओ.
होली का ENGLISH अर्थ है- पवित्रता. पवित्रता से होली मनाएं.
होली का दूसरा अर्थ है--     हो-------ली यानि जो हो चूका, वो हो चूका.
जो बीत गया, सो बीत गया.
  • होली दहन मे पुराने संस्कारों को जला कर अच्छे संस्कारों को ग्रहण करें. पवित्रत से होली मनाने का अर्थ है अपने पुराने संस्कारों को जो दोबारा EMERGE हो रहा है, उसे मारें नहीं, जला दे. इसी का अर्थ है-होलिका दहन. मारा हुआ संस्कार दोबारा जिन्दा हो सकता है, इसलिए अपने पुरुषार्थ से उससे जला दें. अपने पुरुषार्थ से दृढ संकल्पी बनो.
  • हो----ली यानि जो बीत गया. जो बीत गया, सो बीत गया. किसी की कोई गलती नहीं, वो तो बीत गया. गल्तियों को NOTE कर रखेंगे, तो वो बीत नहीं गया. कहीं न कहीं वो अपने दिल-दिमाग पर लिख लिया, उससे परेशान होतें रहेंगे. NOTE न करें.
  • गलती को न ध्यान रखकर, उसे अच्छी VIBERATIONS दें. अपनी कमियों/गल्तियों को कम करें. आसुरी गुण (वैर, ईर्ष्या, द्वेष) को मिटायें. अपने अंदर खामियां आती है--स्वचिन्तन से. जैसे, "मेरी इनसे बनती नहीं है, क्या करूँ, ये तो मेरा स्वभाव है, क्या करूँ, ख़ुशी महसूस नहीं होती, जब चाहे खा लिया, सो लिया, ----आदी---आदी. ये सब खामियां है. खामियों को दिल से निकल बाहर कर अन्तर्मुखी बने.
  •   छोटी-छोटी बातों को लम्बा करना, लम्बी बातों को स्पष्ट न करना, अपनी गलती को न महसूस करना, ये सब खामियां है. अपने अंदर CHECK करें और खामियों को दूर करें.
  • हम कमजोर भटकती हुई आत्माएं है, ज्ञान योग करें और ROYALTY और PURITY को अपने अंदर भरें.
  • अपने को ख़ुशी मे रखने के लिए कौन सी युक्ति अपनानी है--- HONESTY से SERVICE करें, मीठे बन SERVICE करें. कोई भी अवगुण SERVICE न करें.
  • रहम दिल बने. PAST IS PAST . माया कोई भी विकर्म न करवा दें, बहुत सावधान रहना है. मर्यादा की लकीर के अंदर सदा ख़ुशी की अनुभूति करने वाले माया-जीत, विजयी भव:
अपने पुरुषार्थ से होली खेलें, और DOUBLE होली का आनंद लें.    
 
मुसाफिर क्या बेईमान 

Wednesday, February 22, 2012

क्या है प्यार ----?

 अपने आपको ही सिर्फ करें  प्यार,
दूसरे के प्यार को न समझ पायें,
वो प्यार नहीं,
फिर करें तकरार,
कि
सिर्फ जानती मैं  ही,
किसे कहते हैं प्यार,
ये ना-समझ है, प्यार नहीं,  
वो क्या जाने,
किसे कहतें है --प्यार,
लुट जातें है प्यार मे,
और न करतें उफ़ भी,                

पी जातें है, गहरे जख्मों के दर्द को,
समझ अमृत का एक प्याला,
क्या बयाँ करें वो अपनी दास्ताँ,
प्यार के भूखे हैं, वो सिर्फ,
चढ़ने को तैयार हैं, सूलीं पर वो प्यार मे,
फिर भी न समझ पायें, प्यार को अपने वो,
दुत्कार कर भगाने से तो छोड़ जाएँ,   
जानवर भी रास्ता, उस गली का,
मैं न पहचान पाया शायद अब-तक,
 स्वयं को,
 दिल करता जिसका, प्यार करता,
जब दिल मे आये, दुत्कार कर भगा दे,   

अपने प्यार को,
और खाता चला गया ठोकरें, प्यार मे,
शायद ?   ?   ?
हाँ, शायद ? ? ? ?  

                                                                                                       मुसाफिर क्या बेईमान 

Thursday, February 2, 2012

आज का सन्देश (February , २, २०१२)


मानसिक शांति का आनंद प्राप्त करने के लिए
मन को व्यर्थ की उलझनों में फंसने नहीं दो.
  • प्रतिकूल / विपरीत परिस्थितियों में सारा योग व् ज्ञान का भंडार के खत्म होने की आंशंका बनी रहती है. विपरीत परिस्थितियों में संयम बरतें और धारण करें. आपका ज्ञान व् योग भरपूर रहेगा, अगर मन-दिल-दिमाग में कोई खोट (सिर्फ मेरा) नहीं होगा. अगर खोट हुआ, तो भंडार होते हुए भी भरपूर नहीं होगा.
आप जीवन में ऊँचाइयों को कैसे पाएंगे? ? ? परमात्म प्यार में रहें.
योग व् ज्ञान के भंडार को एकत्रित कर खूब बाटें,
ये भंडार कभी कम नहीं होगा. सद-बुद्धि रह, श्रीमत से चलो.

  •  दुखियों के दुःख हर, सुखी बनाओ, लेकिन उन्हें आलसी मत बनाओ.

सभी वेद, शास्त्रों का सार क्या है? ? ?
नैन०-हीन को राह दिखाओ, पग-पग ठोकर खाऊँ मैं ? ? ?

  • आप खुदाई खिदमतगार यानि खुदा के मददगार है. श्रीमत पर चलें और प्रभु, खुदा, इशु इन दो शब्दों के याद रखें.
  • अशुद्ध अहंकार, देह का अभिमान, अपनी सुन्दरता पर लेप लगाकर सुंदर बनना, लेकिन REAL LIFE में कुरूपता करेंगे तो असुंदर बनेगें. आप कौन है, वास्तविक LIFE में, कोई आपको पहचान नहीं पाएंगे.
  • अपने बीज रूप को पहचान, स्वयं की सत्यता जानोगे, पहचानोगे, तो जीवन की ROOTS को सुद्रिड कर तरक्की PROGRESS  पाएंगे. ACCURATE TIME पर स्वयं की LIFE का MUSIC BAND बजाना है. अव्यभिचारी बने. सिर्फ मेरा (INDIVIDUAL-ISM )  की खोट (WEAKNESS ) को समाप्त कर सम्पूर्णता (COMPLETENESS ) को हासिल करें.
  • कथनी और करनी को एक जैसा बनायें और दोनों में सूक्ष्म अंतर को भी समाप्त करें. ज्ञान-वान बनेगें.     

Wednesday, February 1, 2012

आज का सन्देश (1ST February 2012)


काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार, ये पांच डाकू है. इनमे से मुख्य डाकू काम और क्रोध है, जो सब कुछ लूट कर ले जातें है. कामेषु: क्रोधेतु:
  • काम का अर्थ है इच्छाएँ. काम (इच्छाओं) की पूर्ति नहीं होने से क्रोध आ जाता है. इसे समझोगे तो अपने ऊपर कृपा करना है.
बादशाह और वजीर का सम्बन्ध, काम और क्रोध जैसा है.
इंसान अगर इन दोनों के INFLUENCE मे रहते है,
तब हमेशा गलत  DECISION LIFE मे करते है.

  •  परमात्मा कहतें है,इनसे बचो. कहा गया है, " जहाँ ये (काम और क्रोध) विराजमान है, वहां पानी के घड़े भी सूख जातें है." क्रोधी ही घरों को आग लगा देतें है. क्रोध ही कलह का कारण बनते है.
  • क्रोध से किसी को दुखी मत करो. वर्ना आपका पदों-अवनति हो जायेगा. कहावत है, "वो सौ -सौ श्रृंगार करें, फिर भी खोते दा पुत्र, खोता (ASS) ही रहेगा. क्रोध का त्याग करें, घुड़सवार बन.
  • क्रोध किया तो तकदीर को लकीर (FULL STOP ) लग जाएगी, संगी-साथी पर भी इसका असरपड़ेगा. बड़े-बड़े COMMANDER भी क्रोध का शिकार बनते है तो, अपनी पूरी ARMY को ध्वस्त करा देतें है. काम , क्रोध की अग्नि पर ठंडा व् शीतल जल डालें.  मोह नष्ट करें.

स्वयं पर कृपा करो. दिल साफ़ बनो, सम्पूर्ण TRUSTEE बने, स्वयं के.

  • असुर की QUALITY -- मेरा भी मेरा, तेरा भी मेरा.   मनुष्य की QUALITY --- मेरा  ही  मेरा, तेरा भी तेरा. परमात्म गुनी इंसान  की QUALITY --- मेरा भी तेरा, तेरा भी तेरा.
  • मंजिल को सामने रख, FIRST NUMBER लेने वाले तीव्र पुरुषार्थी भव: . जो बात आपकी अवस्था को बिगाड़ने वाली है, उसे सुनते हुए भी न सुने और कोसों दूर रहें.
जो व्यक्ति नम्रता के आधार पर सबसे तालमेल बनाये
रख सकता है, वह महान है.
मुसाफिर क्या बेईमान

Monday, January 23, 2012

आज का सन्देश (23 .01 .2012 )


जो स्वयं को हर परिस्थितियों के अनुसार ढालना जानता है,
उसे जीवन जीने की कला आ जाती  है.
गुणों का धन (प्रेम, मधुर वाणी, अच्छे संकल्प, सत्य बोल, TOLERANCE)
जीवन में आपका ROYAL TRASURE है.
·         प्राप्ति की या न-प्राप्ति की स्थिति मे आप इस जगत में बार-बार आते हैं. जब इस देह का अभिमान बना रहेगा, आप इस मायावी जगत में बने रहेंगे. जैसे अच्छा हलुवा बनते ही अपना किनारा छोड़ देता है, आप भी ऐसे देह का अभिमान छोड़ेगें, इस संसार को छोड़ परमात्म प्यार में चले जायेंगे. वर्ना आपकी आत्मा भी विभिन्न शरीरों में भटकती रहेंगी.  
·         स्नेही सदा स्नेह में लवलीन रहेंगे. ज्ञानी के साथ स्नेही बनना भी जरुरी है.  जहाँ प्यार, ज्ञान में LEAKAGE होगा, वहां सम्पूर्णता नहीं आ सकती. ज्ञान सागर सर्वगुण सम्पन्न है, आप भी ऐसे ही स्वयं को पूर्ण बनायें.
·         रहम दिल, कल्याणकारी, परोपकारी, गुणकारी बनें. स्वयं में कमजोरी न लायें. वर्ना जैसे एक चीटीं भी कोकरोच की टांग से उसे घसीट कर ले जाती है, वही आप के साथ हो सकता है. व्यर्थ संकल्पों को छोड़ें.
·          हर इंसान को शुब कामना व् शुभ भावना दें. चिंताओं का त्याग करें.
चिंता चिता सामान है.  
इसे गले लगाना या इसे छोड़ना अब आपके ऊपर है. 
·         ऐसा कहतें है, “मेरा मन मेरे वश में नहीं है, कुछ कीजिये. कोई कैसे आपके मन को वश में करने का SOLUTION दे सकता है. स्वयं SOLVE कर, अपनी इस अहम् कमजोरी का त्याग कर महावीर बनो. स्वयं के कार्यों पर नियंत्रित कर अच्छा कार्यकर्त्ता बने. अपने मन-बुद्धि को नियंत्रित करें.
·         स्वयं की कर्म-इन्द्रियों को CONTROL कर स्वयं के मालिक बन, विजयी बनो. किसी प्रकार कर बंधन आपको ATTRACT तो नहीं करता रहता. बंधन मुक्त ही योग मुक्त बन सकता है.
·         ईश्वरीय मर्यादाओं में स्वयं को चलायेंगें, तो अच्छी FITTING के साथ SETTING हो जाएगी. FITTING यानि मर्यादाएं, लेकिन किसी मर्यादा के उलंघ्न से SETTING गड़बड़ा जाएगी, और मजबूत ज्ञान की BUILDING ध्वस्त हो जाएगी. SELF -ANALYSIS करें.
·         अपनी सारी शक्तियां LIFE के ADJUSTMENT में न लगायें. FOR EXMAPLE , FROG (मेंडक) अपने आप को WATER TEMPRATURE के ACCORDING अपनी BODY को ADJUST करता है. लेकिन पानी के उबलने पर उसकी शक्ति ADJUSTMENT में इतनी खर्च हो जाती है कि वो उस बर्तन से बाहर निकलने के लिए JUMP (छलांग) भी नहीं लगा पता और मर जाता है. मांग-मांग कर मांगता न बन, साहूकार बन. LIFE -ADJUSTMENT के CONCEPT को ख़त्म करें. यथार्थ विधि द्वारा व्यर्थ को समाप्त  कर NUMBER -1 बने. अपकारी पर उपकार करने वाला ही ज्ञानी पुरुषार्थी है.  
 मुसाफिर क्या बेईमान

Saturday, January 21, 2012

आज का सन्देश (21 .01 .2012 )


विकट समस्याओं का आसान हल ढूंढ़
निकालना सबसे मुश्किल काम है.
  • आज प्रकृति भी दुखी होकर परमात्मा के पूछती है, "कब तक कलयुग में ये सब सहना पड़ेगा”. ऐसे ही शांति, सुख, ख़ुशी किसी दोस्त, परिवार, सम्बन्धी से न मांगो, सिर्फ परमात्म प्यार से सर्वत्र मिलेगा.
  • इस नए वर्ष को क्या PLAN बनाया है. स्वयं की स्वयं पर कोशिश कर NEW YEAR PLAN बनायें. क्या अपने अंदर नया भरोगे?
पुराने संस्कारों ने आपके पुरुषार्थ में विघ्न ही डालें है.  
SELF -ANALYSIS कर नए संस्कार जीवन मे IMPLEMENT करो.
संकल्प कर पुराने संस्कारों  को खत्म करें. 
दान की हुई चीजों को अपने पास नहीं रखते है. 
पुराने संस्कारों का दान कर, नए संकल्प कर, नए वर्ष मे अपनाएं.
  • किसी भी प्रकार की हवस, लालच, इच्छा स्वयं के अंदर न रखें. किसी से कुछ मांगना नहीं है. KNOWLEDGE को ग्रहण करने की इच्छा करो. जीवन मे हिसाब-किताब किसी के साथ न रखें. किसी से कुछ मांगना नहीं है.
  • सिर्फ KNOWLEDGE को ग्रहण करने की इच्छा करो. जीवन मे हिसाब-किताब किसी के साथ न बनाओं.
बचपन के दिन भूला न देना,आज हसें, कल रुला न देना.
चाहे सिर्फ सच बोल के किसी का दिल तोड़ देनामगर
 
झूठ बोल कर किसी को झूठी खुशी मत देना.
  • ज्ञान-योग ग्रहण कर, कर्मातीत बनो. जब भी दुखी हो, सिर्फ परमात्म को याद करो.
  • लेन-देन करते हो, मनुष्यों को भी याद रखते हो. सिर्फ परमात्म से लेन-देन करोगे, तो सिर्फ परमात्म ही याद रहेगा.
  •   STUDENTS को सिर्फ KNOWLEDGE की हवस होनी चाहिए, तभी वो LIFE मे SUCCESSFUL बनेगा.
  • निंदा करना बहुत आसान है, ज्ञान योग ही सिर्फ आपको ज्ञानवान बनायेंगे.
  • WEAK CHARACTER को WEAK साथी ही मित्र बनाते है. अपनी मित्र-मण्डली को चेक करें, और WEAKERS का त्याग करे. हवस इच्छाएं छोड़ ज्ञान योग को अपनाना है, कोई भी DIS -SERVICE नहीं करनी है. भाग्यवान बनो, सच्ची सेवा करने वाले ही तक़दीरवान  है. 
प्यार की बाजी मे हार-जीत नहीं, सिर्फ SACRIFICE होते है.
 मुसाफिर क्या बेईमान