Sunday, January 1, 2012

नव वर्ष का सन्देश (01 .01 .2012 )


  • नए वर्ष मे तीव्र पुरुषार्थी भव: के वरदान द्वारा अपने चेहरे  से फ़रिश्ता रूप दिखाओ और अपने ज्वालामुखी से व्यर्थ भाव को जलाओ और दीन-दुखियों को सहयोग दें.
  • नए वर्ष की उमंगों मे नए PLANS बनायें है, जिसमें विसर्जन और आगे बढने के तीव्र पुरुषार्थ का PLAN बनाया है.
अपने निजी संस्कार, जो उन्नति मे बाधक है, CHECK करो,  
और उसका संस्कार करें.
  • आपका ये NATURE ,स्वभाव, जो बाधक है, दूसरों  को अखरता है, परेशान करता है, उसको छोड़ने का दृढ संकल्प करें. चाहतें भी हैं आप, लकिन आपके पुरुषार्थ मे विघ्न डालते है. पुराने साल की विदाई की तरह ऐसे संस्कारों का त्याग कर दें. इसके लिए तैयार है तो PLAN करें.
  • PLAN करने से पहले दृढ संकल्प करो, आपको तीव्र संकल्प चाहिए. फिर PLAN करो.
मन से दृढ संकल्प करो कि किसी के प्रति कोई
द्वेष या हीन-भावना न रखते हुए शुभ भावना रखें,  
अभी नहीं तो कभी नहीं.
  • मन का भोजन है संकल्प, मन के लिए अशुद्ध भावना व् व्यर्थ संकल्प को मिटा दें. हर आत्मा के लिए स्नेह का भाव रखें. ये दृढ संकल्प करें.
  • इन व्यर्थ संकल्पों का आपने (31 .12 .2011 ) कल विदाई समारोह मनाया.
  • PROMISE था साथ रहेंगे, साथ चलेंगे, परमात्मा/ TEACHER का PROMISE कायम है, आप अपने PROMISE को CHECK करें, कहीं गुम तो नहीं गया. ढूढ़ों और कायम बनो.
  • परमात्मा देखतें है कि प्यार मे बच्चे कभी-कभी नटखट हो जातें है, इधर-उधर की बातें करतें है. परमात्मा देखतें है, और कहतें है, मेरे बच्चे तो राजा-बच्चें हैं, प्यार को पहचान जायेंगे, स्वभाव पाएंगे. आपने प्यार को कायम करें, प्यार पाएंगे. परमात्मा से DEMAND किया कि मुझे गाड़ी, बंगला, नौकरी दे दो, नहीं मिला तो अशांत हो गए. पूछा तो बताया, भगवन ने ये सब नहीं दिया. मैंने कहा, "सिर्फ शांति मांगिये, इतनी लम्बी LIST मांगेगे तो परमात्मा को टाइम लगेगा, पूरी करने मे, फिर भी कोई GUARANTEE नहीं है, पूरी होने की.
  • अशांत मन को, आत्माओं को, विदाई दो, नए साल में नए चोले मे प्यार को कायम करें, साथ-साथ चलें.
  • निराशा के चलते ख़ुशी को मत छोड़ें. योग ज्ञान से व्यर्थ को गवाएं. साथी का सहयोगी बनो. लक्ष्य करो, लक्षित बनो. यही इस वर्ष का HOME -WORK है.      
  • समय के निमित बनो और सहयोगी बनो.  नव-वर्ष की और नव-जीवन मे साथ-साथ चलने की मुबारक हो ---मुबारक हो ----मुबारक हो. उमंग, उल्लास मे रहें, स्वयं को स्वयं से पहचाने और निश्चित बन, तीव्र पुरुषार्थ भव: .
मुसाफिर क्या बेईमान 
 

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