Monday, December 5, 2011

आज का सन्देश (Monday , 05 .12 .2011 )


कहीं समय का पंछी, चुग न जाये दाना.
  • त्याग व् ज्ञान-तपस्या से हम अपने जीवन का भविष्य संवार सकते है. अच्छा-बुरा जो भी मन मे आये, TEACHER, मित्र, सहयोगी, परमात्मा को समर्पित कर दो. आपका मन हल्का हो जायेगा. अगर अच्छे-बुरा को मन मे रखकर स्वयं SOLUTION की ख़ोज मे रहोगे, परेशां-परेशां से रहेंगे. और सिर्फ ये पाएंगे--
रात गवाईं जगे-सोये, दिवस गवायों परेशां-परेशां
  • अंत मति, सो गति होगी, ये जान लेना जरुरी है. कहतें है, ये समझाते बहुत अच्छा है, लेकिन  हम लिखते नहीं हैं इनका ज्ञान. ये समझा कर अपने आप को पतित कर दिया.
  • TENSION /पापों का बोझा सर पर बहुत है. TEACHER जो सन्देश पढ़ातें है, उसे ध्यान मे रखकर TENSION से मुक्ति पाओ. ये है अच्छी दुनिया , अच्छी बातें. इससे ख़ुशी का पारा सदेव ऊँचा चढ़ा रहेगा. वरना तो लड़ते-झगड्तें ही समय बीत जायेगा. इसका मंथन कर जीवन मे अपनाओ.
  •  जीवन के अनुभव/EXPERIENCE की AUTHORITY बन सही-गल्त का निर्णय करो.
ना कामेषु: , ना क्रोधेतु:
  •  अगर हम SOUL CONSCIOUS नहीं है, तो दूसरों की बुद्धि का अवगुण हमारे अंदर आ जाता है.  गुस्से का कारण कोई भी हो सकता है, नुकसान हमारा होगा.
GOD का बच्चा GOD, और D -O -G  का बच्चा डोग,
GOD
के बच्चे हमेशा मीठा बोलेंगे.
  •  मीठा जब बनेगें, जब अंदर से सच्चाई रखेंगे. सच्चा कैसे बनेगें, क्यों की सच्चाई की नैया डोलती  रहती है, लेकिन डूबती नहीं है. परमात्मा/TEACHER की संगति मे सच्चाई सीखें.
  •  अपने गुणों के चरित्र का CHART देखें. औरों का CHART देखने की जरुरत नहीं है (वो ऐसा करता है, हम भी करें ? ?), क्यों कि हमें अपने CHART मे MAXIMUM MARKS लेने हैं. इससे न स्थिति मे विघ्न आएगा, RESULT मे विघ्न. तभी आने वाले EXAMS (JRF, M .फिल, etc) मे भी FOCUS करेंगें. 
                           शांत व् खुश रहो, सफलता मिलेगी
     अंदर-बाहरसे मन व् आत्मा को शांत कर, बहुत बेहतरीन ख़ुशी मिलेगी.
            जिसका आनंद-HAPPINESS - दिलों-जां से महसूस करेंगे.
 
  •  आनंद स्वरूप से विशेष प्राप्ति होती है, उस गुण को सहज--संभाल---संकल्प कर रखें. इसकी अनुभूति सबको करवाएं, चारों तरफ HAPPINESS का ENVIRONMENT पाएंगे.
जैसा अपना नाम, वैसा पुरुषार्थी का काम.
निश्चय के आधार सदा एकरस, अचल शक्ति मे रहने वाले निश्चिन्त भव:
कुछ भी हो, सोचो मत- - क्या, क्यों, कैसे--- मे मत जाओ. जो सदा स्नेही है,
वो हर कार्य मे सदा सहयोगी बनते है.   

1 comment:

सदा said...

बेहतरीन प्रस्‍तुति ।