Thursday, December 15, 2011

आज का संदेश (15 .12 .2011 )


  • ज्ञान के बीज का विनाश नहीं होता.
  • प्रतिदिन किसी विकारी माया के कारण आपको विघ्न आता रहता है. उससे आप को क्रोध भी बहुत आता है. आपको ज्ञान के बीज को बोना है, ताकि ज्ञान-मार्ग प्रशस्त हो.
  • क्रोध भी विनाश का बहुत बड़ा कारण है.
  • क्रोध के विभिन्न रूप है, जैसे: क्रोध मे काला होना, क्रोध मे लाल होना, क्रोध मे रूढ़ जाना, क्रोध मे आवेश आना. इससे अपने साथ और स्वयं को बहुत दुःख पहुंचता है. इस क्रोध रुपी काटें को निकाल कर फूल बनना है.
पानी केरा बुदबुदा, समां जाए उसी मे ही.
गुस्सा, क्रोध भी ज्ञान के सरोवर मे बुदबुदा सामान है, टिक नहीं पाता है.
  • योग के बिना काटों से फूल नहीं बन सकते. फूल बन गए तो ज्ञान-बीज, घने व् विशालकाय वृक्ष की तरह फल और छाया देगा.
  • क्रोध के काँटों को निकाल फूलों का गुलदस्ता बनाओ, ज्ञान फैलाओ.
  •  बहुत-बहुत निडर बन क्रोध रुपी काँटों को फूल बनाएं. चारो तरफ शिक्षा के ज्ञान का बीज बोना है.
  • क्रोध का काँटा बहुत बड़ा है, उसे छोड़, बहुत-बहुत प्यारा बनना है. प्यार से ज्ञान की SERVICE करनी है.
  • दिल और दिमाग दोनों का BALANCE रख शिक्षा का ज्ञान फ़ैलाने से जीवन मे सफलता मिलती है.
मुसाफिर क्या बेईमान 

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