मुसाफिर क्या बेईमान
- लगाव (Indiffernce ) और लगन (DEDICATION ) एक साथ नहीं चल सकते. लग्न के लिए लगाव-अलगाव से दूर रहना चाहिए. कर्मातीत बनो.
- याद मे परमात्मा/TEACHER के रहेंगे, तो खुशी मे रहेंगे. याद मे अपार स्नेह को महसूस करें. कोई भी लगाव-अलगाव के साथ DEDICATION को नहीं रख सकते.
समय---परमात्मा----मैं (ME)----जितना सफल बनना है, बनो.
समय से संकल्प करो.
ऐसा सम्बन्ध रखो, जिसमे आकर्षण हो.
तभी समय के संकल्प से, उस आकर्षण की भरपूर
समय से संकल्प करो.
ऐसा सम्बन्ध रखो, जिसमे आकर्षण हो.
तभी समय के संकल्प से, उस आकर्षण की भरपूर
रौशनी से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलेगी.
परमात्मा ने ये, हमें आशीर्वाद मे दिया है,
परमात्मा ने ये, हमें आशीर्वाद मे दिया है,
इसको USE करें, ताकि हमारी शक्ल नारद मुनि सी न दिखाई दे.
वर्ना खाई मे एक पावँ पर खड़े होकर तपस्या करने से,
वर्ना खाई मे एक पावँ पर खड़े होकर तपस्या करने से,
FAST या उपवास मे भूखे रहकर
कल्याण की सोचना -------- सभी व्यर्थ जायेगा.
- रूहानी स्नेह से मिलन बनाते रहो, परम-आनंद की प्राप्ति करोगे.
- पवित्र चरित्र की BUILDING बहुत मजबूत होती है. परमात्मा आपका दिल लेने आयें है. साफ़ दिल रखो और पवित्र दिल से ज्ञान-योग को धारण करें.
- देह-अभिमान भी शैतान का मत है. झूठी काया, झूठी माया, झूठा सब संसार.
- पवित्र बनेगें तो KNOWLEDGE भी बढ़ेगी. पवित्र न बनने का संकल्प नहीं है, तो यहाँ (ज्ञान-पाठशाला) मे आना बन्द कर दो. दुःख मे सिमरन सब करें, सुख मे करें न कोई.
- पग-पग पर विघ्न आयेंगे, लकिन अपने को पथ से विचलित न होने दे.
- दिल साफ़ है, तो मुराद काफी हासिल होगी. अगर इच्छाएँ UNLIMITED है, तो दिल साफ़ नहीं रह सकता.
कभी भी किसी का दिल ख़राब नहीं करना,
इधर-उधर की बातों से दिल मलीन ही होता है.
- जीवन मे सनुष्टता और सरलता का संतुलन रखना ही सबसे बड़ी विशेषता है.
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