Wednesday, January 11, 2012

आज का सन्देश (11 .01 .2012 )


·         चाह को राह मिल जाती है. तेरा दिल करता है, परमात्मा/साथी से मिलने का, वो कौन रोक सकता है? स्वतंत्र होकर, मुक्त बन और साथी से मिल और ज्ञान के सरोवर मे डुबकी मार. परमात्मा/साथी से लेन-देन मे ये करें कि स्वयं को साथी को समर्पित करें (देन हो गया) और परमात्म/साथी को सम्पूर्ण ग्रहण करें (लेन हो गया).
·         RETURN करने की इच्छा मन में आएगी, तो घृणा, नफरत, अपना-पराया की वृतियां को CHECK करें. अन्दर-बाहर की वृतियों को TRANSPARENT बना. स्वयं को CHECK करें और अपने को मुक्त करो.
·         अब सत्य, सच की वार्तालाप करनी है. तुम JUDGE कर सकते हो-RIGHT क्या है, WRONG क्या है? ? ? ? ?
     परमात्मा अन्तर्यामी कौन सी अन्दर की बात मानता है
अन्दर के पांच भूत सभी मे प्रवेश है
 उन्हें मन, दिल से बाहर निकाल कर फेकों.
मुक्त हो जायेंगे. इन पांच भूतों को दान दे दो.
·         दान  देकर इन भूतों को वापिस नहीं लेना है.
निर्बल से लड़ाई बलवान की, ये कहानी है दीये की और तूफ़ान की. 
·         माया भूतों के तूफ़ान बड़े-बड़े दीयों को बुझा देती है. परवाना बन और दीये की ज्योति से ज्ञान लो. आप को स्थिर रहना है और किसी को क्रोध न करो. वास्तव मे पांच भूत (क्रोध, घृणा, मोह, माया, झूठ) के दान को वापिस नहीं लेना है.
न हम तेरे, न तेरे हम को नियत बना. इन भूतों से छुटकारा मिलेगा.
·         विकर्म विनाश कर, FIRST POSITION  लेनी है. याद रखें कि जो चीज दान दे दी, वो वापिस नहीं लेनी है.
·         हर समय कार्य मे रहकर, सर्व-संपन्न कर MASTER बन. हर परिस्थिति मे अपनी शक्ति के अधिकार को USE करें, उमंग और उत्साह के बिना कोई भी महान कार्य संपन्न नहीं होता, कभी भी मन-बूढी के संस्कारों के वश होकर काम न करें. ज्ञान को लेकर MASTER सर्व-शक्तिमान भाव: और प्यार से सर्व-सम्पन्नता को हासिल करें.
मुसाफिर क्या बेईमान 

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