Friday, January 6, 2012

आज का सन्देश (06 .01 .2012 )


व्यर्थ कर्म भारीपन व् थकान लाते हैं, जबकि श्रेष्ट कर्म हमें प्रसन व् हल्का बनाकर ताजगी प्रदान करतें है.
  • अगर आपकी कोई बात या सलाह या EXPERIENCE नहीं मानता है, वो देह-अभिमान मे डूबा हुआ है, उस पर रहम करें.
  • मैं परमात्मा के साथ हूँ, परमात्मा मेरे साथ है, फिर गलत कार्य नहीं कर सकते. मन परमात्मा के हवाले कर दो, फिर माया को सलामी देकर जिन्दा करेंगे.
  • आज हम भूले-भटके बच्चों के साथ परमात्मा है, इसलिए भटकते हुए शरीर को नियंत्रित करें.
परमात्मा के पास किसका भेद नहीं है? ? ?
  • गरीब व् साहूकार के बीच का. पुरुषार्थ कर, आगे चल, सबको अपने पोस्ट/पद का साक्षात्कार होगा.
  • छोटी-छोटी बातों मे संशय /DOUBT आता है, अपने आप को CHECK करें.
  • ज्ञान और भक्ति साथ-साथ चलते है, इन्सान तो गपोडे बहुत लगाता है. ज्ञान को सहेज कर चलें, गपोडे लगाने बंद हो जायेंगे.
  • चाहो कुछ, मिला कुछ, इस दुविधा मे रहना छोड़ दें. अब परमात्मा को जीते-जी याद करो.
  • TIME हाथ से निकल रहा है, समय रहते संशय, गपोडे, दुविधा को त्याग प्यार मे लीन होकर अपने परमात्मा साथी मे विलीन हो जाएँ. परम आनंद की प्राप्ति होगी.
  • तुम्हारा यादगार यहाँ खड़ा है, माया आपको MISGUIDE करेगी, अपनी स्थिति को श्रेष्ठ करें. श्रीमत पर चलें.
  • दुःख तो सुख, ग्लानी को प्रशंसा मे परिवर्तित करने वाला पुण्य इंसान भव: अपने रहम दिल से दुःख, ग्लानी पर फूल चढ़ाएं, रहम-दिल बनेगें. प्यार के सागर मे समां जाओ, समान बन जाओगे.
मुसाफिर क्या बेईमान 
 

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