Monday, November 7, 2011

आज का संदेश (Wednesday, November 7, 2011)

  • तुम कौन हो?
  • हम ज्ञान-गंगा है.
  • क्या---- मानते हो इसे?
  • फिर इन्तजार किस का
  • गंगा की तरह बहना है, ज्ञान को बाँटना है. पाप-कर्मो से बचना है. परमात्मा सभी को Self-analysis/Self-Criticism की Power देता है, Use this और अपनी जाँच को Regular करें.
तभी ज्ञान-गंगा बहेगी ---
वर्ना आपकी ज्ञान-गंगा तालाब का रूप धारण कर ज्ञान सड़ जायेगा, दुर्गन्ध आएगा.
योग बल से इस ज्ञान-गंगा को बहने दो.

  • संतुष्ट बनो. अगर आप अपने से ही संतुष्ट नहीं है, इसे Check करो. अपने विकारों के लालच (Greediness) के ऊपर जीत पानी है. नर से नारायण बनो.
माया से हारे हार है.
पुरुषार्थ करो. खरा सोने जैसे शुद्ध बनो.
खरा इंसान ही ज्ञान-गंगा को बहने देगा.

  • बुद्धि से गल्त विचारों का तालाब न बनने दे, इस रावण पर जीत पाने के लिए ज्ञान-गंगा को बहाएं.
  • माया के तूफानों की परवाह न कर, मायावी रावण को समझ पाओगे, अपने पर जीत हासिल कर पाओगे.
अशांत मार्ग का त्याग कर, परोपकारी बनाना है.
मुसाफिर क्या बेईमान