Tuesday, November 1, 2011

आज का सन्देश (1st Novemebr, 2011)

  • समर्पण क्या है. आपका जीवन किसे समर्पित है. इसके विषय मे आत्म-मंथन जरुरी है. मन कहीं, तन कहीं और दिमाग कुछ और करे, तो सोचना होगा, आप किसे समर्पित है.
  • सयाने/Sensible मानव पुरुषार्थ करते हुए सदेव यह मंथन करेंगे कि उनके कार्यों से दूसरी आत्माओं का कल्याण हो  रहा है या नहीं.
  • अपनी योग शक्ति से विकर्मो कि पहचान करें और उसे समाप्त करें.  Meditation ही एकमात्र  solution है, जो विकर्मों को समाप्त करेगा.
  • आज कि Evil / शैतानी दुनिया से छुटकारा पाना है, सिर्फ पुरुषार्थ कर परमात्मा को याद कर और इस दुःख-धाम से मुक्ति पा कर सुख-धाम, शांति-धाम की राह पकड़.
  • इस आसुरी दुनिया को समाप्त कर नई दुनिया का निर्माण करो. इस ज्ञान यज्ञ मे शामिल हो कर गीता-ज्ञान का अर्जन करें.
दुःख हरता, सुख करता- परमात्मा की नई दुनिया मे शामिल होईये.
  • मायावी दुनिया का मायाजाल आपके समर्पण को आपसे दूर ले जाएगी. इसलिए सावधानी से, सचेत हो कर आप अपने कार्य करें. विघ्न पड़ेगें, लेकिन ऊँचा पद पाने के पुरुषार्थ करते चलें. Exam हो जायेगा, नतीजा आ जायेगा. फिर मत पछताना, कि पुरुषार्थ नहीं किया.
अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गयी खेत.
  • मायावी फ़िक्र से छुटकारा पाना है, पुरुषार्थ कर अपने सहयोगी का भी कल्याण करें.
और सब सिद्ध बने.
परमात्मा/अल्लाह/भगवान/शक्ति बिंदु की लग्न मे लगकर, निर्विघ्न बनो.
 मुसाफिर क्या बेईमान 

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