Tuesday, November 22, 2011

आज का सन्देश (Tuesday, 22, November 2011)


  • बातें तन का, मन का, धन का  EXCUSE लेकर  आएँगी, दृढ़ता रखेंगे वो बात वापिस चली जाएगी. शुरुआत (आदि) से अंत तक हिम्मत दिलाने के निमित बने, भविष्य निश्चित होते हुए भी अलबेले नहीं बनेगें.
  • हर कदम मे हिम्मत के पात्र बन NUMBER -1 बने. जब तक जीना है, पढाई पर और सम्पूर्ण बनने पर पूरा-पूरा ATTENTION देना है.   अलबेलेपन की लीला समाप्त करनी है.
राज-ऋषि बन सम्पूर्ण बनने का अनुभव कर.
  • निर्लेप बनो, कल्याण व् रहम की दृष्टि रखनी है, स्नेह, सहयोगी, गुण ग्राहक बनना है. लेकिन FOLLOW पर्त्मात्मा/TEACHER को करना है.

  • दूसरे की WEAK POSITION सुन-सुन कर अपनी POWERFUL POSITION को WEAKER न करो. वर्ना ध्यान ATTENTION WEAK हो जाएगा और खुद भी WEAKEST हो जायेंगे, SLOWLY---SLOWLY. इस रावन दुनिया मे बहुत कुछ है, माया के मोहवश अपना पथ भ्रष्ट न करो. 
परमात्मा ने बच्चो को श्रेष्ठ कर्म करने की व् कर्म को सुधारने 
की क्या विधि बताई है.

  • अपने कर्मों को सुधारने के लिए अपने TEACHER के साथ सच्चे HONEST रहें. यदि कभी भूल से भी उल्टा कर्म हो जाये, तो परमात्मा बाबा को तुरंत लिख दो. सच्चाई से बाबा को सुनायेंगे तो उसका असर कम हो जायेगा, नहीं तो, उलटे-कर्म मे ही  वृद्धि होती रहेगी. TEACHER के पास MESSAGE आएगा, तो आपको सुधारने का कार्य करतें है.

  • SCHOOL मे बच्चों को याद रहता है कि उन्हें DOCTOR, ENGINEER, PILOT बनना है. आप तो RESEARCHER हो गएँ है, फिर भी भूल गए, क्या बनना है भविष्य मे. याद रखो, अपना भविष्य.

  •  जब CLASS मे आते हों, सब ख्याल अपने ROOM/HOSTEL पर छोड़ कर आओ. ये ज्ञान-सरवर है, ज्ञान कि डुबकी मारो और इस सरोवर से नया-नया ज्ञान रुपी रत्न ग्रहण करो.

  • अगर हमारे SCHOOL मे कम बच्चे PASS होंगे, SCHOOL की इज्जत चली जाएगी. TEACHER की REPUTATION DOWN हो जायेगा.

  •  माया की पर-छाया न पड़ने दो, याद रखो. सपूत वही बनेगा, जो योग-शिक्षा मे रहेगा.

  • जो आपको भटकाएगा, वो ज्ञान-सरोवर का TEACHER नहीं है, वो माया है. TEACHER व् माया के फर्क को पहचानो. ज्ञान पाओगे.

तुम्हारा सच्चा वर्त (FAST) है- मन मना: भव:

  •  जिसे सुधरना नहीं है, वो पाप-कर्म करतें है. उन्हें परमात्मा/TEACHER भी नहीं सुधार सकता.

  • किसी बात पर बिगड़ना नहीं है. जो पढ़ते हो, उस पर विचार-मंथन करना है. सर्व-प्राप्ति की और बढेंगे.

अ-इच्छा मात्र: विद्याम:

2 comments:

केवल राम said...

गहन जीवन दर्शन से भरी बातें ......आनंद से ओत प्रोत ....!

Amrita Tanmay said...

बहुत बढ़िया पोस्ट. अच्छी लगी.