कहना था कुछ,
मगर रोका मुझे, इक बात ने,
आपकी - - -
मिला जवाब - - -
उम्मीदों मे, नहीं जिया करते हम,
चलते है, रास्तों को बनाते हुए,
ताकि
न फिसल पाए,
कोई गैर या अपना,
जीते है,
इन्ही असूलों पर,
पसंद या नापसंद,
ये असूल,
न सीखा मैंने,
फिर किसने, रोका उसे,
शायद झंझावतों ने उसके,
क्या निकल पाओगे,
इससे,
न मिल पाए जवाब, अगर,
न रोकना, अपने को,
कहने से कुछ,
चल कर, इतला देना,
इक बात क़ी,
निकल जाये- - -
इक बात, कहने से
शायद----
हाँ, सही है - - -
शायद. - - -मुसाफिर क्या बेईमान
2 comments:
अंदर की बात बाहर आने के लिए संवाद अत्यावश्यक है।
सुंदर भाव हैं कविता के
आभार
उम्मीदों मे, नहीं जिया करते हम,
चलते है, रास्तों को बनाते हुए,
waah
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