Saturday, May 21, 2011

क्या है मंथन?

जिन्दगी मे सहजता से जीना चाहें,
तो फसा देते है लोग,
एक चक्रवुयूह मे,
जटिलताओ के घेरे मे,
लूट लेते है इज्जत,
और
करते है कोशिश,
कि लूट लिया आपने ही,
क्या ये आंसू,
इतने सहज है, निकल जाते है,
बस यों ही,
तलाशना होगा इसका जवाब,
वरना
जिन्दगी कट जाएगी
बस यों ही

3 comments:

संजय भास्‍कर said...

सार्थक और भावप्रवण रचना।

रश्मि प्रभा... said...

तलाशना होगा इसका जवाब,... manthan karke hi milega, warna wakai sab yun hi khatm ho jayega

मुसाफिर क्या बेईमान said...

शुक्रिया आपका
अपने बहुत दुरुस्त फ़रमाया. लेकिन नई पीढ़ी को मंथन का वक्त नहीं है. और जिन्दगी चलती जाती है. जिसे ये Casual कहते है व् इसे casually लेते है.