आती यादें, पीने के बाद
और पीते, शायद भूल जाएँ,
पी--पी कर लेते, अपने से ही,
प्यार मे इंतकाम
अश्रु लाता, मिठास, इंतकाम मे,
और पीते, यही कहते,
अपनी मौत का किया इंतजाम,
यही है मेरा इंतकाम,
लेकिन,
यादें बढती जाती,
पीना बढता जाता
दो लम्हे का आराम भी,
करता बैचन
पीना लगातार, बारबार, लगातार.
मुसाफिर क्या बेईमान
3 comments:
thik hai misafir bhai par jyada mat peena
सार्थक रचना।
बहुत खूब कहा. शुक्रिया. संजय जी
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