Tuesday, October 25, 2011

आज का संदेश (Tuesday, October 25, 2011)


  • मौत से पहले, जितना हो सके, मेरी (परमात्मा) याद मे मेरे बच्चे बन कर, पुरुषार्थ करें.
भूल से भी पाप न करना, माया के कितने ही तूफ़ान आये, पतित मत बनना.
  • बुद्धि का ताला खोलें. माया बड़ी प्रबल है, जीते जी मत मरो, पुरुषार्थ करें.
कोई भी पाप-कर्म मत करो. काम, क्रोध का आदि, मध्य और अंत होना है.
  • परमात्मा तक़दीर बनाने आयें है, उस पर पाप की लकीर क्यों लगाते हो.
  • अपने ज्ञान-सागर से मझधार को पार करें, डूबती हुई नाव से जितना निकlल सकते हो, निकlल कर फेकें.
  • परमात्मा किसी को याद नहीं करते, ये तो दाता है. अब तुम जितना करोगे, उतना पाओगे. जन्म-जन्मांतर के पाप-बोझ को सर से उतlर दो. श्रीमद पर चलकर अपना कल्याण करो.
  • गृहस्थ परिवार मे रहकर पवित्र बनो. मौत तो सामने खड़ी है. Heart Fail या Accident हो जाता है, इसलिए पुरुषार्थ करो. वरना तो जैसा कर्म करोगे, वैसा फल मिलेगा.
  • माया तो आपका साँस दबा-दबा कर आपसे गलत कार्य (e.g. Murder) करवाएगी, किया तो फंसे. इसलिए Frustrate मत बनो, सिर्फ पुरुषार्थ करो और संयम  रखो. यही चेतन्य यात्रा है. भूल से भी भूल न करो, पाप न करो.
पवित्र बन अपना कल्याण करें. सहज जीवन बनाओ.
मुसाफिर क्या बेईमान  

3 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

दीप पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

संगीता पुरी said...

बढिया संदेश ..
.. आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!

केवल राम said...

बहुत प्रेरक और सोचने पर मजबूर करता सन्देश .....आपको दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें