Sunday, June 26, 2011

सफ़र और संघर्ष

मजबूरी नहीं,
मुसाफिर- ए- जिंदगानी,
रास्ता खोज, 
बुनियाद बनी, संघर्ष की, 
जिन्दगी के सफ़र की,
 मुकद्दर-ए-मंजिलों की तलाश,
पहुंची, इक मुकाम पर,
*************
इरशाद,  दौरे-ए-सफ़र की
यादें जिन्दादिली की हुई तरोताजा, 
कशमकश---- मेहनत ---
लगायी, 
जान की बाज़ी,
ईमान से, 
********
सोचता हूँ, 
क्या होता बमुश्किल, सफ़र-ए- संघर्ष
अगर,
न भटकता कोई,
चक्रव्यूह मे इसके,
क्या याद रखता, ख़ताओं को अपनी,
सिखलाया तजुर्बे ने,
और चुना,
पाक-साफ़ रास्ता, चांदनी सा,
सुकून है दिल मे, आज,
कि
न देखा, उन मंजिलों को, 
जो दिखें, 
बेईमान--बेईमान सी, 
बेगानी---बेगानी सी,
न सीखी,  मजबूरी और---
निराश-ए-जिंदगानी,
कि - - - - - - -
लोट के भी, आ न सकू,
मंजिलें ईमान की पाने को, 
वरना
निगलता, भटकाव का चक्रव्यूह,
धीरे-धीरे--- शने---शने-- 
कल---आज---और---कल. 
************************* मुसाफिर क्या बेईमान 

1 comment:

रश्मि प्रभा... said...

सोचता हूँ,
क्या होता बमुश्किल, सफ़र-ए- संघर्ष
अगर,
न भटकता कोई,
चक्रव्यूह मे इसके,
क्या याद रखता, ख़ताओं को अपनी,
सिखलाया तजुर्बे ने,
और चुना,
पाक-साफ़ रास्ता, चांदनी सा,...bahut hi behtareen abhivyakti