ये सहना, प्यार मे,
लूट लेता है, अस्मत
छोड़ जाता है, यादें पीछे,
सिर्फ सहने को तनहा, तनहा.
क्या कहें इसे, खुदा की फितरत,
या कहें, अपनी ही खुदी है, किस्मत,
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वो चले गए, लूट कर प्यार मे,
क्या बन गए विजेता,
या,
लूट ले चले, अपनी ही तन्हाई और बेबसी,
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हमने किया न्योछावर, तन-मन प्यार मे,
उसे भूख थी, सिर्फ धन की, मेरे प्यार से,
ले चली आपने साथ---अकेले---अकेले,
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अश्रु निकल चले, फिर भी,
देख उनका, एकांत मे छटपटाना
क्या लूट चले, ---हमारा,
कुछ भी नहीं,
सिवाय, प्यार मे, दिए प्यार को,
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अब वो यादें, सहना भी,
बनती है, ताकत हमारी,
क्यों की, लुटा दिया प्यार मे,
इस खुदा की खुदी को.
इस हार मे, इक सुकून है, आनंद है,
किया प्यार, तो जान जायेंगे,
वर्ना मान जायेंगे,
मेरी कही, प्यार मे---प्यार से.
**** मुसाफिर क्या बेईमान
1 comment:
विभिन्न भावों का अनूठा संगम लिए यह कविता गहरे भावों सम्प्रेषण करती है .....आपका आभार
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