घूमता हुआ, जाता हूँ घर के लिए,
लौटता हूँ वापिस, किसके इन्तजार मे,
क्यों, किसलिए करता हूँ ये सब,
अगर नहीं है जवाब,
तो ये है भटकाव,
काफी है यह,
आदमी को बनाने के लिए,
पंगु और इससे भी ज्यादा,
मै
सोचता हूँ पर नहीं सोचता,
क्यों,
किसलिए करता हूँ ये सब,
मै
घूमता हुआ जाता हूँ-----
बस----! घूमता हुआ----!
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2 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद्|
यह भटकाव व्यक्ति को जीवन के मूल लक्ष्यों से दूर ले जाता है ....व्यक्ति को जीवन में भटकाव का सामना तो करना पड़ता है लेकिन इससे बचना भी जरुरी है ....!
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