Saturday, February 19, 2011

इन्तजार-भटकाव-जवाब

मै
घूमता हुआ, जाता हूँ घर के लिए,
लौटता हूँ वापिस, किसके इन्तजार मे,
क्यों, किसलिए करता हूँ ये सब,
अगर नहीं है जवाब,
तो ये है भटकाव,
काफी है यह,
आदमी को बनाने के लिए,
पंगु और इससे भी ज्यादा,
मै
जानते हुए भी नहीं जनता,
सोचता हूँ पर नहीं सोचता,
क्यों,
किसलिए करता हूँ ये सब,
मै
घूमता हुआ जाता हूँ-----
बस----! घूमता हुआ----!

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2 comments:

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद्|

केवल राम said...

यह भटकाव व्यक्ति को जीवन के मूल लक्ष्यों से दूर ले जाता है ....व्यक्ति को जीवन में भटकाव का सामना तो करना पड़ता है लेकिन इससे बचना भी जरुरी है ....!