परछाई न मिले,
खोजे सभी, फिर भी
उबलते पानी के दरिया किनारे,
क्या मिले सच्चाई,
आक्रोश भरे जोश मे,
असमंजस मे है,
क्या जवाब दे,
निर्णय करें, सोचे विचारे
कहीं चूक न हो जाये
अपने विश्लेषण मे
और याद आये
अब पछताए होत क्या
जब चिड़िया चुग गयी खेत
--------------- मुसाफिर क्या बेईमान
1 comment:
sachchi baat
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