ये मन,
जब भी मिलता है, तन्हाईयों से
विवश करती है, कुछ सोचने को,
कुछ करने को,
संभालता हूँ, स्वयं को,
समझाता हूँ, मन को,
चंचलता, चपलता ही कारण है,
समस्याओं का,
धीर और धेर्य ही,
समाधान है,
हाँ, एकमात्र यह जवाब है,
चालाकियों से, तन्हाईयाँ बाँटने का,
हाँ, एकमात्र,
सिर्फ एकमात्र,
यही है इसका,
सम्पूर्ण जवाब.
------- मुसाफिर क्या बेईमान
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