दिलों का दर्द, बह जाता है,
अश्रु बन, चुपके, चुपके,
न बयां होता ये दर्द,
लकिन,
न रोकें रुके, ये कमबख्त,
लुढ़कते गालों से,
करहाते, दर्द से,
सच न समझ पायें,
और देखता रहा चुपचाप,
मै,
अनकहे सच को
निरीह सा---
अनजाना सा----
खोजता रहा--क्या है सच
उस सैलाब मै, बहते देख,
अनसुलझे सच को,
हाँ---
अनसुलझी दास्ताँ का,
सच,
शायद.
अश्रु बन, चुपके, चुपके,
न बयां होता ये दर्द,
लकिन,
न रोकें रुके, ये कमबख्त,
लुढ़कते गालों से,
करहाते, दर्द से,
सच न समझ पायें,
और देखता रहा चुपचाप,
मै,
अनकहे सच को
निरीह सा---
अनजाना सा----
खोजता रहा--क्या है सच
उस सैलाब मै, बहते देख,
अनसुलझे सच को,
हाँ---
अनसुलझी दास्ताँ का,
सच,
शायद.
------------------मुसाफिर क्या बेईमान
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