Tuesday, April 5, 2011

मायने---अप्रैल फूल के

बनाया अप्रैल फूल---बने शहनशाह
झूठ के किले के
जहाँ बचपन से योवन बना, इक अप्रैल फूल
परेशान किया, बनाया उसे फूल,
क्या पता था---बन जायेंगे जीता---जागता अप्रैल फूल
पढाई की, और पहुंचे शहर से महानगर मे,
जहाँ खोमचे वाले से, बड़े---बड़े शोरूम वाले,
बनाते अप्रैल फूल, हर किसी का
क्या रिक्शा, ऑटो, ब्लू लाइन बसे, टेक्सी---ये मानव
बनते और बनाते, फुल प्रूफ फूल इक-- दूजे को
हाँ, यही महानगर है,
जहाँ दिल, दिमाग, डिग्री, नोकरी 
की होती खरीद-फरोख्त, 
न जाने, 
बिकती होगी--- प्यार, शादी, तलाक, दीवारें घरों की, 
फिर तो बनते, संभलते, बिगड़ते, बदलते होंगे, 
भाई, बहिन, माँ--बाप, पता नहीं रिश्ते सभी, 
हा---हा---हा----हा---हा-----
बनाया मैंने, अप्रैल फूल आपको, 
महानगर की ये तस्वीर दिखा कर,
छोड़ा आपके ऊपर अब 
जिन्दगी के इस सबक को
बनो या बनाओ---अप्रैल फूल
अप्रैल फूल से अप्रैल फूल को.
                                                      ****** मुसाफिर क्या बेईमान

1 comment:

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर..... धन्यवाद|