Saturday, March 26, 2011

इल्म----बेईमान के

वो काएदे सिखाते रहे, तमाम उम्र
लुटते रहे,  चाहने वालों की चाहत मे,
गुलिस्तान बने और बिखर गए,
फिर संजोये कुछ सपने, और बनाया इक घरोंदा
Tsunami Pictures: #3 - Houses in the Aceh province of Thailand are flooded by the tsunamiखोज कर, चुन-चुन कर पूरा किया सपनो को
आया अफ्रीका से सुनामी, किया नाद जयश्री का,
बहा ले गया इस घरोंदे को, तब्दील किया महाकाल की भस्म मे,
शिकायत की खुदा से, क्यों बनाया मेरा वजूद ऐसा
जो आता, करें वश मे,  मत्रों--तंत्रों से अपने 
और कोशिश करें, मेरी सिद्धि को लूटने की
खुदा से जवाब मिला, बने रहें अपने कायदों---असूलों पर 
बनाया---सजाया---सवारा तुम्हे सिर्फ, सिखाने को तमाम उम्र
कभी तो दिखेगी, जन्नत यहाँ इस धरती पर
Red poppies and farm in the distance. Marseille, Franceबताते और बाँटते रहे, इल्म इसी कायदे के
हाँ ------- बाँटते रहे, इल्म को इल्म से

                                            *****मुसाफिर क्या बेईमान
 
                                         

4 comments:

संजय भास्‍कर said...

यथार्थमय सुन्दर पोस्ट
कविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.

संजय भास्‍कर said...

ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना

केवल राम said...

जीवन के अनुभूत सत्य का आभास करती रचना ...एक तलाश है उस सत्य तक पहुँचने की ..लेकिन उससे पहले खुद का विश्लेषण आवश्यक है ...आपका आभार

Rakesh Kumar said...

'खुदा से जवाब मिला, बने रहें अपने कायदों---असूलों पर बनाया---सजाया---सवारा तुम्हे सिर्फ, सिखाने को तमाम उम्र कभी तो दिखेगी, जन्नत यहाँ इस धरती पर'
खुदा तो हमेशा ही सिखाने को तैयार है,कमी है तो बस हमारे सीखने की.
मुसाफिर बेईमानी से कभी न पहुंचेगा मंजिल पर.