Wednesday, March 23, 2011

यादें शहीदों की- -------- मुसाफिर क्या बेईमान

 स्मरण करें आज,
 इन्कलाब जिंदाबाद
जो फ़िदा हुए ,मातृ भूमि के प्रेम मे
न्योछावर किया जीवन को आजादी के संघर्ष मे
क्या इसलिए-
कि देश का धन-दौलत जमा होगा स्विस बैंक मे
खायेंगे गरीबों का- कहेंगे मेरा भारत महान
चिंतित है सिर्फ मंदिर-मस्जिद के नाम को बेचने  मे
जाती के नाम पर होंगे आन्दोलन, न बचेगा कोई बिना आरक्षण के
देश, मातृ भूमि, क्या------ देश प्रेम
सिर्फ रहेगा स्विस बैंक मे सिमट कर 
भाईचारा सिर्फ नाम है, एक दूजे को बाँटने का
करें याद आज भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव क़ी शहादतों को
कहीं बन न जाये, हम दोबारा भगत सिंह
करें  मातृ भूमि क़ी सेवा, और करें सफाई इन अमर बेलों क़ी 
आप करतें रह जायेगें, लोकतंत्र ----लोकतंत्र----
और साफ़ हो जायेगीं मातृ भूमि से, अमर बेलों का झुरमुट 
फिर हम गाएंगें वही तराना, ए---वतन, ए---वतन  
 हाँ यही तराना, बार बार ----लगातार 

3 comments:

केवल राम said...

हमने अपने स्वार्थ के लिए उन शहीदों को भुला दिया जिन्होंने अपने प्राण हँसते हँसते इस भारत माता के लिए अर्पित किये थे लेकिन आज के कर्णधार उसके विपरीत कार्य कर रहे हैं ..क्या विडंबना है ..आपका आभार

सदा said...

इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

रश्मि प्रभा... said...

भाईचारा सिर्फ नाम है, एक दूजे को बाँटने का
bilkul