Sunday, March 13, 2011

मानवीय -मानवीयता प्रकृति से ------- मुसाफिर क्या बेईमान

मै झूमता, खुशी महसूस करता
खिलखिलाते पोधों के गमले देखकर
जो स्वछंद बढते, खिखिलाते हमेशा,
पानी जो बरसाया, नाचते-गाते दिखते गमले सभी, 
जैसे आभार करते व्यक्त, धूप, पानी-खाद के सेवन पर,
मानव क्यों नहीं सीखता, इससे 
काश बदल सकता अपना वर्ताव, पोधों जैसे
जो करें आभार व्यकत, हर उसका
जो पिलाये पानी, नहलाएं उन्हें 
परन्तु  ये मानव, चेहरा देख,
दिखाए अपनी प्रकृति, अमीबा जैसे 
मीठा बोले फ़ोन पर, वर्ना बरसायें गलियां, 
पीठ पीछे मारें तलवार, सामने दे गुलदस्ता, 
भेजें सन्देश प्यार का, है राक्षसी वर्ताव, 
सीखो मानावे प्रकृति से, घुल-मिल जाओ इसमें,
वर्ना पछतावा न हो, इक दिन,
खुद को अप्रकृत महसूस कर,
कहीं नफरत न करें, प्रकृति के चील, गिद्ध, कोवे
तुम्हारे जिस्मानी शरीर पर,
सभलों समय है, बदलो अपने आप को,
सीखो इस प्रकृति से,
ढाल लो तन, मन, सम्पूर्ण इसमें, 
पओगे इक नया जीवन,
शुरुआत करेंगे, महसूस कर पाएंगे तभी,
नया-नया स्वछंद सवेरा.

7 comments:

Unknown said...

शुक्रिया।

Sushil Bakliwal said...

शुभागमन...!
कामना है कि आप ब्लागलेखन के इस क्षेत्र में अधिकतम उंचाईयां हासिल कर सकें । अपने इस प्रयास में सफलता के लिये आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या उसी अनुपात में बढ सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको 'नजरिया' ब्लाग की लिंक नीचे दे रहा हूँ, किसी भी नये हिन्दीभाषी ब्लागर्स के लिये इस ब्लाग पर आपको जितनी अधिक व प्रमाणिक जानकारी इसके अब तक के लेखों में एक ही स्थान पर मिल सकती है उतनी अन्यत्र शायद कहीं नहीं । आप नीचे की लिंक पर मौजूद इस ब्लाग के दि. 18-2-2011 को प्रकाशित आलेख "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" का (माउस क्लिक द्वारा) चटका लगाकर अवलोकन अवश्य करें, इसपर अपनी टिप्पणीरुपी राय भी दें और आगे भी स्वयं के ब्लाग के लिये उपयोगी अन्य जानकारियों के लिये इसे फालो भी करें । आपको निश्चय ही अच्छे परिणाम मिलेंगे । पुनः शुभकामनाओं सहित...

नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव.

उन्नति के मार्ग में बाधक महारोग - क्या कहेंगे लोग ?

हरीश सिंह said...

ब्लॉग लेखन में आपका स्वागत है, आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए तथा प्रत्येक भारतीय लेखको को एक मंच पर लाने के लिए " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" का गठन किया गया है. आपसे अनुरोध है कि इस मंच का followers बन हमारा उत्साहवर्धन करें , हम आपका इंतजार करेंगे.
हरीश सिंह.... संस्थापक/संयोजक "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच"
हमारा लिंक----- www.upkhabar.in/

केवल राम said...

मानव को प्रकृति के साथ जोड़ने की सुंदर सीख सजे भाव इस कविता में अभिव्यक्त हुए हैं , मानव बेशक इस प्रकृति का दोहन करता है लेकिन वह खुद को प्रकृति का अंग नहीं मानता इसी कारण उसे प्रकृति के कोप का भाजन करना पड़ता है ...आपकी कविता में इन भावों का सुंदर सम्प्रेषण हुआ है ...आपका शुक्रिया

Anonymous said...

"सीखो मानावे प्रकृति से, घुल-मिल जाओ इसमें"

बहुत अच्छा सन्देश - शुभकामनाएं

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर सन्देश देती कविता| धन्यवाद|

संजय भास्‍कर said...

हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.