न छूआ, नशे को,
कभी भी,
फिर भी झूमता हूँ,
बेफिक्र, बेखोफ,
खोया, खोया सा,
अपने मे ही,
देखता ख्वाब, गुनगुनाते हुए,
रचा उस नशे मे, स्वयम्बर उससे,
दस्तक हुई, रखे कदम, बिन आहट के,
भोर की किरणों ने,
टूटा नशा, इक नशे जैसा,
ढूँढता हूँ, सोचते- - - सोचते,
न मिला कोई सुराग, नशे का,
वो कहें, उसे,
पागलपन या दिवालियापन,
दिल का,
कहते है, प्यार उसे,
सोचता हूँ, ढूँढते- - - ढूँढते. - - -मुसाफिर क्या बेईमान
कभी भी,
फिर भी झूमता हूँ,
बेफिक्र, बेखोफ,
खोया, खोया सा,
अपने मे ही,
देखता ख्वाब, गुनगुनाते हुए,
रचा उस नशे मे, स्वयम्बर उससे,
दस्तक हुई, रखे कदम, बिन आहट के,
भोर की किरणों ने,
टूटा नशा, इक नशे जैसा,
ढूँढता हूँ, सोचते- - - सोचते,
न मिला कोई सुराग, नशे का,
वो कहें, उसे,
पागलपन या दिवालियापन,
दिल का,
कहते है, प्यार उसे,
सोचता हूँ, ढूँढते- - - ढूँढते. - - -मुसाफिर क्या बेईमान
2 comments:
जीवन के रंग निराले हैं....
badhiya.....keep writing...
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