अपने आपको ही सिर्फ करें प्यार,
दूसरे के प्यार को न समझ पायें,
वो प्यार नहीं,
फिर करें तकरार,
कि
सिर्फ जानती मैं ही,
किसे कहते हैं प्यार,
ये ना-समझ है, प्यार नहीं,
वो क्या जाने,
किसे कहतें है --प्यार,
लुट जातें है प्यार मे,
और न करतें उफ़ भी,
पी जातें है, गहरे जख्मों के दर्द को,
समझ अमृत का एक प्याला,
क्या बयाँ करें वो अपनी दास्ताँ,
प्यार के भूखे हैं, वो सिर्फ,
चढ़ने को तैयार हैं, सूलीं पर वो प्यार मे,
फिर भी न समझ पायें, प्यार को अपने वो,
दुत्कार कर भगाने से तो छोड़ जाएँ,
जानवर भी रास्ता, उस गली का,
मैं न पहचान पाया शायद अब-तक,
स्वयं को,
दिल करता जिसका, प्यार करता,
जब दिल मे आये, दुत्कार कर भगा दे,
अपने प्यार को,
और खाता चला गया ठोकरें, प्यार मे,
शायद ? ? ?
हाँ, शायद ? ? ? ?
मुसाफिर क्या बेईमान
दूसरे के प्यार को न समझ पायें,
वो प्यार नहीं,
फिर करें तकरार,
कि
सिर्फ जानती मैं ही,
किसे कहते हैं प्यार,
ये ना-समझ है, प्यार नहीं,
वो क्या जाने,
किसे कहतें है --प्यार,
लुट जातें है प्यार मे,
और न करतें उफ़ भी,
पी जातें है, गहरे जख्मों के दर्द को,
समझ अमृत का एक प्याला,
क्या बयाँ करें वो अपनी दास्ताँ,
प्यार के भूखे हैं, वो सिर्फ,
चढ़ने को तैयार हैं, सूलीं पर वो प्यार मे,
फिर भी न समझ पायें, प्यार को अपने वो,
दुत्कार कर भगाने से तो छोड़ जाएँ,
जानवर भी रास्ता, उस गली का,
मैं न पहचान पाया शायद अब-तक,
स्वयं को,
दिल करता जिसका, प्यार करता,
जब दिल मे आये, दुत्कार कर भगा दे,
अपने प्यार को,
और खाता चला गया ठोकरें, प्यार मे,
शायद ? ? ?
हाँ, शायद ? ? ? ?
मुसाफिर क्या बेईमान
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