Monday, April 1, 2013



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Sunday, September 16, 2012

तमाम सफर के हमसफर

मै.....
मै चाहती हूँ तेरा प्यार पाना...
और.....
और ये चाहती हूँ, कि तू हो जाये मेरा दीवाना
दीवानगी हो इस कदर,  इक  हो  जाये  हम,  सदा  के  लिए
तुम  तुम  न  रहो,  और  मै  मै  न  रहूँ,
 मिल जाये हम, सदा के लिए धरती और गगन की तरह  
मिल जाये हम सात रंगों के, सात  सुरों  की  तरह 
इन सात रंगों, और सुरों से बने, वो है प्यार
फिर मिले हमे हमारे मिलन का कोई उपहार
 जिसमे झलकता  हो तेरा प्यार जो हो कुछ तेरा कुछ मेरा
डर जाती हूँ  कभी कि ये सब सपना तो  नहीं
और छलक जाती है, ये ऑंखें बारिश की बूंदों की तरह
मै .....
मै चाहती हूँ  उस अहसास को पाना
जिसके अहसास से, तू भी हो जाये दीवाना
कैसा होगा वो  अहसास, जिसमे हर तरफ ख़ुशी  ही ख़ुशी होगी
चारों तरफ मुझे तेरी ही सूरत नजर आएगी
बस मुझे इतना पता होगा की वो अहसास भी तेरा
और अक्स भी तेरा
डरती  हूँ, कहीं बिखर न जाये, सपने मेरे
बस इक तेरा साथ हो, तो सारे सपने हो जाये पूरें
मै अधूरी  हूँ, मुझे पूरा तुम कर दो,
दिखा कर सारी दुनिया को, मेरी मांग तुम भर दो
बस इसी चाहत के अहसास में
मुझे बस तेरे प्यार का सलोना सा रूप चाहिए
जिसका हो इक प्यारा सा नाम
जो हो पूजा के सुरेश का ईशान
हो हम दोनों का अभिमान
तेरे मेरे प्यार की पहचान  

Thursday, June 14, 2012

साथ किसका ----

जिन्दगी के इस सफर मे,
ईक साथ चलता है हमेशा,
उसे भी छीन लेता है,
रात का गुमनाम अँधियारा,
मिल जाये 
ये साथ तो बताना,
न मिले तो, भूल जाना,
उस साथ को, 
परछाई समझ कर.
                             मुसाफिर क्या बेईमान  

Sunday, April 8, 2012

आज का सन्देश (8TH APRIL 2012)


  • ज्ञान को व्यव्हार मे लागू करना ही औचित्यपूर्ण है. व्यव्हार की कुशलता कम का कारण स्वयं मे अहम की भावना और स्वार्थ है. व्यव्हार से ही  इंसान पहचाना जाता है.
  • व्यव्हार चाहें बड़ों से, छोटों से, बराबर उम्र वालों से हो, वो कुशलता पूर्वक होना चाहिए. बड़ों के आशीर्वाद से वंचित न हो, व्यव्हार को कुशल बनायें. बराबर उम्र वालों से अहम की भावना नहीं आनी चाहिए. स्वयं को समानता की भावना मे आकर व्यव्हार करें.
  • बड़े या छोटे की भावना मे न जाकर उन्हें बराबर का समझ अहम का विनाश कर कुशल व्यवहार करेंगे तो ज्ञानी कहलायेंगे. विनम्रता आएगी, कुशल बनेगें.
  • ज्ञानवान कुशल व्यव्हार की चाबी है.  
अपने अकुशल व्यव्हार से दूसरों के अंदर भय पैदा हो जाता है,
उससे वो Angel / परी बन आपकी RESECT तो करते है,
लेकिन आप  प्रेम, विनम्रता को खो देंगे.
मन परेशान रहेंगा. 
सेवाभाव रखें, तो परमात्म सर्व-शक्तियों को देगा.
  • विशाल हदय बन अपने को कुशल बनायें. ज्ञान, गुण, शक्तियां वो बीज है, जो कर्म करने से वृक्ष का रूप लेगा, इसमें गुणों का फल आने मे समय लगेगा. धीरज धर, निराश न हो. युक्ति-युक्त श्रेष्ठ बन.
  • साफ़ बात भी अगर उचित समय पर नहीं कही जाये, तो वो भी विनाश ही करती है. साफ़ बात, साफ़ समय, साफ़ मन से दूसरों के साफ़ मन तो छुएगी, तो रास्ता साफ़ दिल से साफ़-साफ़ दिखाई देगा. ज्ञान जहाँ समझ मे आया, व्यव्हार भी कुशल हो जायेगा.
  • स्वयं के व्यव्हार से पहले स्वयं संतुष्ट है, तो आपका व्यव्हार दूसरों को संतुष्ट कर पायेगा, वरना स्वार्थ-सिद्धि के लिए व्यव्हार अकुशल होगा.
  • SILENCE की POWER से SCIENCE की INVENTION (खोज) होती है. शांत रहने की शक्ति से स्वयं के व्यव्हार का निरीक्षण करेंगे, तो अव्यक्त की स्थिति को पहचानने और जानने से आनंद की अनुभूति होगी. 

Tuesday, March 6, 2012

आज का सन्देश (6 , मार्च 2012 )


  • होली का त्यौहार आ रहा है. परमात्मा के संग के रंग से DOUBLE HOLI मनाओ.
होली का ENGLISH अर्थ है- पवित्रता. पवित्रता से होली मनाएं.
होली का दूसरा अर्थ है--     हो-------ली यानि जो हो चूका, वो हो चूका.
जो बीत गया, सो बीत गया.
  • होली दहन मे पुराने संस्कारों को जला कर अच्छे संस्कारों को ग्रहण करें. पवित्रत से होली मनाने का अर्थ है अपने पुराने संस्कारों को जो दोबारा EMERGE हो रहा है, उसे मारें नहीं, जला दे. इसी का अर्थ है-होलिका दहन. मारा हुआ संस्कार दोबारा जिन्दा हो सकता है, इसलिए अपने पुरुषार्थ से उससे जला दें. अपने पुरुषार्थ से दृढ संकल्पी बनो.
  • हो----ली यानि जो बीत गया. जो बीत गया, सो बीत गया. किसी की कोई गलती नहीं, वो तो बीत गया. गल्तियों को NOTE कर रखेंगे, तो वो बीत नहीं गया. कहीं न कहीं वो अपने दिल-दिमाग पर लिख लिया, उससे परेशान होतें रहेंगे. NOTE न करें.
  • गलती को न ध्यान रखकर, उसे अच्छी VIBERATIONS दें. अपनी कमियों/गल्तियों को कम करें. आसुरी गुण (वैर, ईर्ष्या, द्वेष) को मिटायें. अपने अंदर खामियां आती है--स्वचिन्तन से. जैसे, "मेरी इनसे बनती नहीं है, क्या करूँ, ये तो मेरा स्वभाव है, क्या करूँ, ख़ुशी महसूस नहीं होती, जब चाहे खा लिया, सो लिया, ----आदी---आदी. ये सब खामियां है. खामियों को दिल से निकल बाहर कर अन्तर्मुखी बने.
  •   छोटी-छोटी बातों को लम्बा करना, लम्बी बातों को स्पष्ट न करना, अपनी गलती को न महसूस करना, ये सब खामियां है. अपने अंदर CHECK करें और खामियों को दूर करें.
  • हम कमजोर भटकती हुई आत्माएं है, ज्ञान योग करें और ROYALTY और PURITY को अपने अंदर भरें.
  • अपने को ख़ुशी मे रखने के लिए कौन सी युक्ति अपनानी है--- HONESTY से SERVICE करें, मीठे बन SERVICE करें. कोई भी अवगुण SERVICE न करें.
  • रहम दिल बने. PAST IS PAST . माया कोई भी विकर्म न करवा दें, बहुत सावधान रहना है. मर्यादा की लकीर के अंदर सदा ख़ुशी की अनुभूति करने वाले माया-जीत, विजयी भव:
अपने पुरुषार्थ से होली खेलें, और DOUBLE होली का आनंद लें.    
 
मुसाफिर क्या बेईमान