tag:blogger.com,1999:blog-7078329467132814548.post2535333011120019086..comments2023-08-24T13:59:56.214+05:30Comments on सफ़र-जिन्दगी का: इशार-ए-दर्पण********बेईमानमुसाफिर क्या बेईमानhttp://www.blogger.com/profile/13976191214680256666noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7078329467132814548.post-44288479950437920342011-02-12T17:13:37.328+05:302011-02-12T17:13:37.328+05:30आपका कहना सही है ....शुभकामनायेंआपका कहना सही है ....शुभकामनायेंकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7078329467132814548.post-32140071506653950822011-02-12T09:53:48.968+05:302011-02-12T09:53:48.968+05:30और फिर एक नियम के बाद दुसरे को बनाने की कवायद शुरू...और फिर एक नियम के बाद दुसरे को बनाने की कवायद शुरू हो जाती है ...फिर उसे भी तोड़ दिया जाता है ..और यह सिलसिला अनवरत चलता रहता है और आदमी .....बस ....केवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.com